आंधियों से कह दो कि
औकात में रहे इस हफ्ते में
तीसरा कच्छा गायब हुआ है
कहीं भी लिखा नहीं है कि प्यार
जवानी में होता है लेकिन
यह जब भी होता है
इंसान जवान जरूर हो जाता है
जिंदगी सुंदर है पर मुझे जीना नहीं आता
हर चीज में नशा है पर मुझे पीना नहीं आता
सब मेरे बिना जी सकते हैं सिर्फ मुझे
अपनों के बिना जीना नहीं आता
अधूरा है मेरा इश्क तेरे नाम के बिना
जैसे अधूरी है राधा श्याम के बिना
इंसान जितना संभल कर बारिश में कदम रखता है
उतना संभलकर जिंदगी में रखे तो गलती की गुंजाइश ही ना हो
मैंने खुदा से पूछा कि क्यों तू हर बार छीन लेता है
मेरी हर पसंद वह हंसकर बोला मुझे भी पसंद है तेरी हर पसंद
हम भी मजबूर हैं
दिल भी मजबूर है
वह हमसे दूर हैं
हम उनसे दूर हैं
लोग प्यार करना तो जानते हैं
लड़ना भी जानते हैं रूठना भी जानते हैं
और छोड़कर जाना भी जानते हैं
लेकिन किसी को समझाना नहीं चाहते
और इसी वजह से रिश्ते टूट जाते हैं
ना वक्त का कोई लिहाज
ना जुल्फ खुले रखने की जरूरत
एक शख्स के चले जाने से
जाने कितनी आदतें छूट जाती है
बिना जिस्म को छुए
जो रूह से मिलकर जाए वही इश्क है
जिस्म से तो जिस्म को ही ले जाया जा सकता है
रूह को रिझाने के लिए सिर्फ रूह ही चाहिए
दुआएं जमा करने में लग जाओ साहब
खबर पक्की है दौलत और शोहरत साथ नहीं जाएगी
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